भारतीय टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच खेल रही है। राहुल द्रविड़ (RAHUL DRAVID) को जबसे हेड कोच बनाया गया है तब से भारतीय टीम हासिल करने की वजह बहुत कुछ खो चुकी है। द्रविड़ की नियुक्ति को करीब 20 महीने हुए हैं इस दौरान टीम इंडिया (TEAM INDIA) साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट और वनडे सीरीज में हारी है। वही एशिया कप (ASIA CUP) के फाइनल के लिए भी भारतीय टीम क्वालीफाई नहीं कर पाई। इसके अलावा इंग्लैंड में रीशेड्यूल टेस्ट मैच में भी भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा। इन सबके बावजूद टी20 वर्ल्ड कप 2022 (T20 WORLD CUP 2022) के सेमीफाइनल में भी भारतीय टीम को हार मिली है। वही भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल भी हार गई।
हेड कोच राहुल द्रविड़ ने कहीं बड़ी बात
भारतीय टीम को इतनी हार मिलने के बाद भी राहुल द्रविड़ (RAHUL DRAVID) की कोचिंग में खिलाड़ियों को लंबा खेलने का मौका मिल रहा है। अब उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि “टीम के कोच के तौर पर सबसे ज्यादा कठिन काम किया है जब भी हम प्लेइंग इलेवन चुनते हैं तो लोगों को निराश करते हैं। क्योंकि हारने पर टीम की आलोचना होती है। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2023 के फाइनल में भी ऐसा ही हुआ था जब टीम चार तेज गेंदबाजों के साथ मैदान पर उतरी थी।”
कभी-कभी कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं- राहुल द्रविड़
कोच राहुल द्रविड़ ने कहा कि “आप व्यक्तिगत स्तर पर भी उन सभी लोगों की परवाह करते हैं जिन्हें आप कोच करते हैं और आप व्यक्तिगत संबंध बनाने का प्रयास कर रहे हैं। आप उन्हें एक इंसान के रूप में कोच करना चाहते हैं, ना कि क्रिकेट खिलाड़ियों के रूप में। और जब आप ऐसा करते हैं तो आप चाहते हैं कि वे सभी सफल हो, लेकिन साथ ही आपको यथार्थवादी होना होगा और यह महसूस करना होगा कि उनमें से सभी सफल नहीं होंगे। कभी-कभी आपको मुश्किल और कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं।”
प्लेइंग इलेवन चुनते समय लोगों को निराश करते हैं – राहुल द्रविड़
भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच राहुल द्रविड़ (RAHUL DRAVID) ने कहा कि जब भी हम फाइनल प्लेइंग इलेवन (PLAYING XI) का चुनाव करते हैं तो हम लोगों को निराश करते हैं। कुछ और भी होते हैं जो खेल नहीं हो रहे होते हैं। जब भी हम किसी टूर्नामेंट के लिए फाइनल 15 जाते हैं तो बहुत सारे खिलाड़ी होते हैं जो महसूस करते हैं कि उन्हें वहां होना चाहिए। ऐसे में आप भावनात्मक स्तर पर उनके लिए बुरा महसूस करते हैं लेकिन कम से कम हम सब प्रयास करते हैं। मैं यह नहीं कहता कि मैं इसमें परफेक्ट हूं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं हर समय सही होता हूं। क्योंकि इसका आप पर असर पड़ता है।”
राहुल द्रविड़ ने कहा कि “कोचिंग या टीमों का नेतृत्व करने का यह सबसे कठिन निर्णय है। ऐसा उन लोगों के बारे में कठिन निर्णय लेना जिन्हें आप वास्तव में सफल होना और अच्छा करते हुए देखना चाहते हैं। लेकिन आपने हमसे बाध्य होकर केवल इतना ही खिलाड़ियों को चुन सकते हैं।”