ऊंचे पर्वत के उत्तरी बेस

महाराजगंज (Maharajganj) के गांगी बाजार चंद्रजीत कुमार पांडे (Chandrajeet Kumar Pandey) व बागापार के जितेंद्र शर्मा (Jitendra Sharma) भारत के सबसे ऊंचे पर्वत के उत्तरी बेस पर तिरंगा झंडा लहराए. यह दोनों ही पेशे से शिक्षक है जिन्होंने 9 अप्रैल 2023 को अपनी इस यात्रा को शुरू किया था. वह बिहार के रास्ते नेपाल पहुंचे थे. सबसे पहले तो वहां के कंचनजंघा कंजर्वेशन एरिया के प्रशासन को सूचित कर दोनों शिक्षकों ने अपना परमिट बनवाया और लगभग 220 किलोमीटर यात्रा शुरू की. यह नेपाल के ताप्लेजुंग जिले में स्थित है.

मौत से भी खतरनाक थे रास्ते

दोनों शिक्षकों ने वहां पर एक दिन रुककर चुनौतीपूर्ण यात्रा के लिए पहले खुद को तैयार किया. दरअसल इसकी ऊंचाई लगभग 3500 मीटर बताई जा रही है. जितेंद्र शर्मा ने बताया कि अगले दिन घुंनसा से निकल कर 7 घंटे की खतरनाक जंगली पहाड़ी यात्रा करने के बाद खांबेचन ऊंचाई 41 मीटर पर पहुंचा. रास्ते इतनी खतरनाक है कि हर कदम पर मौत नजर आ रही थी. लोनक जाने के दौरान पूरे रास्ते ग्लेशियर के ऊपर गिरते रहे थे. जबरदस्त बर्फबारी हो रही थी जिसके आगे जाना किसी बड़े खतरे से खाली नहीं था. इसके बावजूद भी हम नहीं रुके.

बर्फबारी बंद होते ही लहराया तिरंगा

बर्फबारी जैसे ही बंद हुई दोनों शिक्षक हाथ में तिरंगा लेकर निकले और भारत के सबसे ऊंचे पर्वत की चोटी कंचनजंघा के उतरी बेस पर पहुंचे जिसकी ऊंचाई 5143 मीटर है. 22 अप्रैल को दिन में 11:50 बजे भारत का तिरंगा दोनों शिक्षकों ने लहराया.

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